Monday, April 4, 2011

मिलकर बिछड़ना दस्तूर है जिंदिगी का,
एक यही किस्शा मशहूर है जिंदिगी का,
बीते हुए पल कभी लौटकर नहीं आते,
यही सबसे बड़ा कसूर है जिंदिगी का,
निकलता चाँद सब को पसंद आता है ,
डूबता सूरज कौन देखना चाहता है ,
टूटता हुआ तारा सब की दुआ इसलिए पूरी करता है ,
क्योंकि उसे टूटने का दर्द मालुम पड़ता है !
Harish