तुम्ही से मेरा चाँद खिले
तुम्ही से चाँदनी मिले
तुम्ही से सुबह हो मेरी
तुम्ही से मेरी शाम ढले
तुम्ही से महके हर कली
तुम्ही से मेरे फूल खिले
तुम्ही तो अपने हो मेरे
तुम्ही से है सब गिले
तुम्ही तो चाहत हो मेरी
तुम्ही से मेरा दिल मिले
तुम्ही से जिंदिगी है मेरी
तुम्ही से है मेरी ये शिलशिले
जब तुझी से ही मेरी सब कुछ मिले
फिर क्यूँ ना .......
हरिश्चंद्र विश्वकर्मा