Monday, November 29, 2010

महबूब -
१:- एक एकला इस शहर में जीनेकी तो कोई नहीं मरने का बहाना धुनता है 
२:- दो नैनो में आंशु भरे है नदिया कहाँ से समाये ........
     झूठे तेरे वादों  पे बरस बिताएं 
     जिंदिगी तो कटी, ये रात  कट जाएँ
३:- कहने वालों का तो कुछ नहीं जाता
     सुनाने वाले कमाल करते है
     कौन ढूंढे जवाब दर्दों के
     लोग तोबस सवाल करते है

written by:-  Harish V.

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