Saturday, May 14, 2011

Vidur Niti

विदुर निति 
1
युधिष्ठिर में क्रूरता का अभाव, दया धर्म, सत्य तथा पराक्रम  है!वे अप में पुज्यबुद्धि रखते है! 
इन्ही सदगुणों के कारण वे सोच विचार कर चुप चाप बहुत से क्लेश सह रहे है 
  २
अपने वास्तविक स्वरूप का ज्ञान, उद्योग, दुख सहने की शक्ति और धर्म स्थिरता- 
ये गुण जिस मनुष्य को पुरुसार्थ से बयुत नहीं करते वही पंडित कहलाता है 
जो अच्छे कर्मो का सेवन करता और बुरे कर्मो से दूर रहता है, 
साथ ही जो अस्थिक और श्रृद्धालु है, उसके वे सदगुण पंडित होने के लक्षण है 
क्रोध, हर्ष, गर्व, लज्जा तथा उदंडता तथा अपने को पूज्य समझना-
ये भाव जिसके पुरुषार्थ से भ्रष्ट नहीं करते वही  पंडित कहते है
दुसरे लोग जो जिसके कर्तव्य, सलाह और पहले से किये हुए विचार को नहीं जानते 
बल्कि काम पूरा होने पर ही जानते है वही पंडित कहलाते है 
सर्दी, गर्मी, भय, अनुराग संपत्ति अथवा दरिद्रता - 
ये जिसके कार्य में विघ्न नहीं डालते  वही पनित कहलाता है 
जिसकी लौकिक बुद्धि धर्म और अर्थ का ही अनुसरण करती है 
और जो भोग को छोड़कर प्रुसर्थ का ही वरण करता है वही पंडित कहलाता है    






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