Sunday, December 4, 2011

 आज तक बहुत कुछ खोया है हमने
आज तक बहुत कुछ खोया है हमने ,
लेकिन आज कुछ पाने को दिल चाहता है ,
हर हालात को ख़ुशी से कबूल किया है हमने ,
लेकिन आज उनसे लड़ने को दिल चाहता है,
अब तक तनहा थे जिंदिगी में हम,
लेकिन अब किसी को अपना बनाने को दिल चाहता है ,
ना जाने कब से नहीं सोये है हम,
लेकिन आज जी भर के सोने को दिल चाहता है ,
चलते - चलते बहुत थक गए है हम ,
लेकिन आज एक जगह रुक जाने को दिल चाहता है,
अब तक हर कदम रखा है हमने सम्हाल के ,
लेकिन आज बहक जाने को दिल चाहता है,
हर कोई छोड़ जाता है बीच राह में हमें ,
लेकिन आज सबको तनहा छोड़ जाने को दिल चाहता है ,

कोई तुमसे पूछे कौन हूँ में ,
तुम कह देना कोई ख़ास नहीं
एक दोस्त है कच्चा पक्का सा ,
एक झूठ है आधा सच्चा सा ,
जज़्बात को ढके एक पर्दा बस ,
एक बहाना है अच्छा अच्छा सा ,

जीवन का एक ऐसा साथी है,
जो दूर होके पास नहीं
कोई तुमसे पूछे कौन हूँ मै
तुम कह देना कोई ख़ास नहीं

हरीश मासूम विश्वकर्मा

1 comment:

  1. Kaya Likhun Kitna Likhoon Ab likhne se kya faayda,
    Meri Mohabbat jo mujhse door hao to ab tadapne se kya faayda

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