Sunday, January 27, 2013

Meri Premabhibykti Ko Wo Apraadh Samajhati Hai

 मेरी प्रेमाभिब्यक्ति को वो अपराध समझती है, 

 

मेरी प्रेमाभिब्यक्ति को वो अपराध समझती है,
और गैरों के अधिकारों को, वो  अपवाद समझती है!

मेरे शोक को अपना कभी वो शोक ना माने, 
और गिरो के शोक को, वो अवसाद समझती है!

मै HEARO- PUCH चलाता हूँ तो वो मखौल उडाती है ,
वो  CBZ, PULSAR को , प्रेम की बुनियाद समझती है !

वो करेले की सब्जी को बड़ा  स्वादिस्ट बताती है ,
और मेरे हाथ की मीठी चाय को, बेस्वाद समझती है!

गैरों की बातों में वो खामखां उलझती है ,
और मुझसे वार्तालाप करने को, वो विवाद समझती है!

गैर शेर सुनाते है तो बखूबी दाद देती है,
और मेरी गजलों को वो बस बर्बाद समझती है!

मै मिलने को कहता हु तो बंदिशें बताती है,
और गैरों से मिलने को, वो आज़ाद समझती है 

मेरी प्रेमाभिब्यक्ति को वो अपराध समझती है,
और गैरों के अधिकारों को, वो  अपवाद समझती है!

Harish Chand Vishwakarma




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