महबूब -
१:- एक एकला इस शहर में जीनेकी तो कोई नहीं मरने का बहाना धुनता है
२:- दो नैनो में आंशु भरे है नदिया कहाँ से समाये ........
झूठे तेरे वादों पे बरस बिताएं
जिंदिगी तो कटी, ये रात कट जाएँ
३:- कहने वालों का तो कुछ नहीं जाता
सुनाने वाले कमाल करते है
कौन ढूंढे जवाब दर्दों के
लोग तोबस सवाल करते है
written by:- Harish V.
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