आज तक बहुत कुछ खोया है हमने
आज तक बहुत कुछ खोया है हमने ,
लेकिन आज कुछ पाने को दिल चाहता है ,
हर हालात को ख़ुशी से कबूल किया है हमने ,
लेकिन आज उनसे लड़ने को दिल चाहता है,
अब तक तनहा थे जिंदिगी में हम,
लेकिन अब किसी को अपना बनाने को दिल चाहता है ,
ना जाने कब से नहीं सोये है हम,
लेकिन आज जी भर के सोने को दिल चाहता है ,
चलते - चलते बहुत थक गए है हम ,
लेकिन आज एक जगह रुक जाने को दिल चाहता है,
अब तक हर कदम रखा है हमने सम्हाल के ,
लेकिन आज बहक जाने को दिल चाहता है,
हर कोई छोड़ जाता है बीच राह में हमें ,
लेकिन आज सबको तनहा छोड़ जाने को दिल चाहता है ,
कोई तुमसे पूछे कौन हूँ में ,
तुम कह देना कोई ख़ास नहीं
एक दोस्त है कच्चा पक्का सा ,
एक झूठ है आधा सच्चा सा ,
जज़्बात को ढके एक पर्दा बस ,
एक बहाना है अच्छा अच्छा सा ,
जीवन का एक ऐसा साथी है,
जो दूर होके पास नहीं
कोई तुमसे पूछे कौन हूँ मै
तुम कह देना कोई ख़ास नहीं
हरीश मासूम विश्वकर्मा
आज तक बहुत कुछ खोया है हमने ,
लेकिन आज कुछ पाने को दिल चाहता है ,
हर हालात को ख़ुशी से कबूल किया है हमने ,
लेकिन आज उनसे लड़ने को दिल चाहता है,
अब तक तनहा थे जिंदिगी में हम,
लेकिन अब किसी को अपना बनाने को दिल चाहता है ,
ना जाने कब से नहीं सोये है हम,
लेकिन आज जी भर के सोने को दिल चाहता है ,
चलते - चलते बहुत थक गए है हम ,
लेकिन आज एक जगह रुक जाने को दिल चाहता है,
अब तक हर कदम रखा है हमने सम्हाल के ,
लेकिन आज बहक जाने को दिल चाहता है,
हर कोई छोड़ जाता है बीच राह में हमें ,
लेकिन आज सबको तनहा छोड़ जाने को दिल चाहता है ,
कोई तुमसे पूछे कौन हूँ में ,
तुम कह देना कोई ख़ास नहीं
एक दोस्त है कच्चा पक्का सा ,
एक झूठ है आधा सच्चा सा ,
जज़्बात को ढके एक पर्दा बस ,
एक बहाना है अच्छा अच्छा सा ,
जीवन का एक ऐसा साथी है,
जो दूर होके पास नहीं
कोई तुमसे पूछे कौन हूँ मै
तुम कह देना कोई ख़ास नहीं
हरीश मासूम विश्वकर्मा
Kaya Likhun Kitna Likhoon Ab likhne se kya faayda,
ReplyDeleteMeri Mohabbat jo mujhse door hao to ab tadapne se kya faayda