मेरे दिल की है आवाज होली के साथ
हरीश विश्वकर्मा
ऐसा भी हो कभी उनसे मिला दे कोई
कैसे है वो इतना तो बता दे कोई
वो तो खोई है अपनी किताबों की दुनिया में
मेरे दिल का हाल उसे बता दे कोई
उनका मासूमियत भरा चेहरा निहारु जी भर के
सोई हुई प्यास फिर से जगा दे कोई
खुशबु की तरह अक्सर महसूस होता है उनका हर पल
अब उनसे रूबरू करा दे कोई
सुख गयी है मेरे पलकों की ज़मीन
बस आज तो जी भर के रुला दे कोई
न जाने कितनी रातें गुजर गयी राह टकते टकते
अब जब वो न मिले तो चैन की नींद सुला दे कोई हरीश विश्वकर्मा
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