Saturday, February 19, 2011

Updesh Manjari


उपदेश मंजरी
दुःख तो इस बात का है हरीश  इस संसार में भक्त कहलाने वाले लोग तो बहुत है, लेकिन दुसरे का दर्द नहीं समझते है! दुकान पर बैठ गए है, तो ठगने से पीछे नहीं हटेगे, अगर ज्ञानी है, तो ज्ञान से ठग रहे है, धनी है तो अपने धन के माध्यम से ठग रहे है! यदि उचे पद पर बैठे हुए है, तो अपने रौब से ठग रहें है, किसी न किसी तरह से यह ठगी, निर्दयिता चल रही है! मंदिर में जाते है, तो माथा झुकाने में पीछे नहीं, लेकिन ठगने में भी पीछे नहीं! संतों ने इसलिए तो कहा है हरीश अगर तू भक्त बनता है, तो पूरा भक्त बन और ठग भी बनता है, तो पूरा ठग तो बन, दुनिया को अत तो लगे, की तू आदमी ठग है, तू दूसरों का मुखौटा क्यों पहनता  है!
Harish

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