Wednesday, October 5, 2011

नवरात्र 

मैली चादर ओढ़ के कैसे 
द्वार तुम्हारे आऊँ 
हे पवन परमेश्वर मेरे 
मन ही मन शरमाऊँ 
मैली चादर ओढ़ के कैसे ........ 

तुने मुझको जग में भेजा 
निर्मल देकर काया  
आकर इस संसार में मैंने 
इसको दाग लगाया 
जनम जनम की मैली चादर 
कैसे दाग छोढाऊँ
मैली  चादर ओढ़ के कैसे....... 

इन पैरों से चलकर तेरे 
मंदिर कभी ना आया 
जहां जहां हो पूजा तेरी 
कभी ना शीश झुकाया 
हे हरिहर मई  हार के आया 
अब क्या हार चढाऊं
मैली चादर के ओढ़ के कैसे .....

Harishchand Vishwakarma

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