Sunday, March 4, 2012

मेरे  दिल की है आवाज होली के साथ 

  









ऐसा भी हो कभी उनसे मिला दे कोई 
कैसे है  वो इतना तो बता दे कोई 
वो तो खोई है अपनी किताबों की दुनिया में 
मेरे दिल का हाल उसे बता दे कोई 
उनका मासूमियत भरा चेहरा निहारु जी भर के 
सोई हुई प्यास फिर से जगा दे कोई 
खुशबु की तरह अक्सर महसूस होता है उनका हर पल 
अब उनसे रूबरू करा दे कोई 
सुख गयी है मेरे पलकों की ज़मीन 
बस आज तो जी भर के रुला दे कोई 
न जाने कितनी रातें गुजर गयी राह टकते टकते
अब जब वो न मिले तो चैन की नींद सुला दे कोई    

हरीश विश्वकर्मा

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