Sunday, January 29, 2012

जिसकी रचना इतनी सुन्दर 
तुझे देखकर जग वाले पर यकीन नहीं कर क्यूँ होगा 
जिसकी रचना इतनी सुन्दर वो कितना सुन्दर होगा 
वो कितना सुन्दर होगा

तुझे देखने को मैं क्या हर दर्पण तरसा करता है
ज्यों तुलसी के बिरवा को हर आँगन तरसा करता है 
हर आँगन तरसा करता है

राग रंग रस का संगम आधार तू प्रेम कहानी है 
मरे पासे मन मैं यू उतारी ज्यों रेट में झरना पानी का
 ज्यों रेट में झरना पानी का

अपना रूप दिखने को तेरे रूप में खुद ईश्वर होगा 
जिसकी रचना इतनी सुन्दर वो कितना सुन्दर होगा  
वो कितना सुन्दर होगा 

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