Tuesday, January 3, 2012

Bhajan


 भजन 

 तोरा मन दर्पण कहलाये 
भले बुरे सारे कर्मों को देखे और देखाये
मन ही देवता मन ही ईश्वर 
मन से बड़ा ना  कोई
मन उजियारा जब जब फैले 
जग उजियारा होये
इस उजाले दर्पण पर प्राणी, धुल ना जमने पाये
सुख की कलियाँ दुःख के कांटें 
मन सब का आधार 
मन से कोई बात छुपी ना 
मन के नैन हजार 
जग से चाहे भाग ले कोई, मन से भाग नान पाये 

हरीश

No comments:

Post a Comment