Saturday, January 7, 2012


लता मंगेश्कर

हमें बस ये पता है वो, बहुत ही खुबसूरत है 
लिफ़ाफ़े के लिए लीकें पते की भी जरुरत है 

हम ने सनम को ख़त लिखा, ख़त में लिखा 
ए दिलरुबा, दिल की गली, सहर- ये- वफा 

पछे ये ख़त जाने कहाँ, जाने बने क्या दास्ताँ 
उस पर रकीबों का ये दर, लग जाए उनके हाथ अगर 
कितना बुरा अजाम हो, दिल मुफ्त में बदनाम हो 
एसा ना हो एसा ना हो, अपने खुदा से रात दिन 
मांगा किये हम ये दुवां 

पीपल का ये पत्ता नहीं, कागज़ के ये टुकडा नहीं 
इस दिल का ये अरमान है, इसमें हमारी  जान है
ऐसा गजब हो जाए ना, रिश्ते में ये खो जाए ना 
हमने बड़ी ताकीद की, डाला इसे जब डाक में 
ये डाक बाबू से कहा 

बरसों जवाब ये यार का, देखा किये हम राश्ता
एक दिन वो ख़त वापस मिला, और डाकिये ने ये कहा 
इस डाक खाने में नहीं, सरे जमाने में नहीं 
कोई सनम इस नाम का, कोई गली इस नाम की
कोई शहर इस नाम का

हरीश  

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