ख्वाब
शीशी से बनी एक लड़की पत्थर के नगर में आई
और धुंद रही थी मोती और पत्थर से टकराई
शीशे से बनी ये लड़की इस बात से अनजानी
जब रेट चमकती है तो लगती है दूर से पानी
ये फूल है सब कागज़ के लेकिन वो समझ न पायी
शीशे कीबनी एक लड़की पत्थर की नगर में आई
वो धुंध अहि थी मोती और पत्थर से टकराई
शीशे से बनी लड़की से कह दो की ना बाद में रोना
कुछलोग है जो पीतल के कहते है वो खुद को सोना
ये झूठ का पुल टूटेगा और घेरी है गम की खाई
शीशे की बनी एक लड़की पत्थर की नगर में आई
वो दूंध रही थी मोती और पत्थर से टकराई
हरीश
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