धरती काहे पुकारे
की हम तुम चूरी से, बंधे एक डोरी से, जय्यो कहा हे हजूर
अरे की बंधन है प्यार का की हम तुम चूरी से बंधे एक डोरी से
जय्यो कहा से
कजरा वाली फिर तू, ऐसे काहे निहारे...2
गीत पवन के गोरी, माने तो समझा जा रे
मतलबवा एक है, एक है नैनन पुकार का
की हम तुम से, बंधे एक डोरी से
जय्यो कहा ई हजूर ........2
देखो बादल आये, पवन के पुकारे...2
उल्फत मेरी बीती, अनारी पिया हारे
आएगा रे मजा, रे मजा ab जीत हार का
की हम तुम चूरी से बंधे एक दूरी से
जय्यो कहा जी हजूर
हरीश
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