दिल कही तो होश कही
दिल कही होश कही रहता है आजकल
हर वक़्त खफा- खफा रहती है आजकल
तुम छू लो तो ये यकीन आ जायेगा
की मुझमे भी कोई रहता है आजकल
खामोश थे हम मगरूर समझ लिया
चूप है हम तो मजबूर समझ लिया
यही आप की खुशनशिबी है,की हम कितने करीब है
फिर भी आप ने हमें दूर समझ लिया
हरीश मासूम
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