Thursday, December 30, 2010

31 december 2010 ke liye khch khaas

हर नजर में एक नज़र की तलाश है 
आँखों से दूर दूर , दिल के पास पास 
हर लम्हा जुदाई का गम, हर लम्हा मिलने की आस !

कमजोर है वो जो चाहते है अपने मोहब्बत को भुलाना,
नाज़ कर अपने मोहब्बत पर, अपने दल को ना रुलाना !

तेरे गम ने जो दिल को सताया है ,
बस यही सोच कर आज दिल भर आया है !
कभी तो इस सूखे मौसम बूँद बरसेगी,
यहीं सोचकर ,आँखों में सावन ऊमर आया है

आँखों से आंसुओं की लकीर बनती है 
तेरे आने से मेरी तस्वीर बनती है 
अगर कभी भी रेत पर अंगुली फिरौं जो मै
तो बस अनायास ही तेरी तस्वीर बनती है
हरीश मासूम

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