हर नजर में एक नज़र की तलाश है
आँखों से दूर दूर , दिल के पास पास
हर लम्हा जुदाई का गम, हर लम्हा मिलने की आस !
कमजोर है वो जो चाहते है अपने मोहब्बत को भुलाना,
नाज़ कर अपने मोहब्बत पर, अपने दल को ना रुलाना !
तेरे गम ने जो दिल को सताया है ,
बस यही सोच कर आज दिल भर आया है !
कभी तो इस सूखे मौसम बूँद बरसेगी,
यहीं सोचकर ,आँखों में सावन ऊमर आया है
आँखों से आंसुओं की लकीर बनती है
तेरे आने से मेरी तस्वीर बनती है
अगर कभी भी रेत पर अंगुली फिरौं जो मै
तो बस अनायास ही तेरी तस्वीर बनती है
हरीश मासूम