शराबी
कुछ लोग पीते है गम भुलाने को
कुछ लोग पीते है कोई और गम भुलाने को
पर ऐ दोस्त ये क्या ......
हम तो माहौल ना मिलने के गम में पीते है
जाम से जाम पीने से क्या फायदा,
शाम को पी सुबह उतर जाएगी,
अरे दो बूंद इश्क के पी ले,
जिंदिगी शारी नशें में गुजर जाएगी!
नशा हम किया करते है
इल्जाम शराब को दिया जाता है
कसूर शराब का नहीं उनका है
जिनका चेहरा हमें हर जाम में नज़र आता है
हर तरफ ख़ामोशी का शाया है
जिसको देखो वहीँ प्यारा है
गिर पड़ा हूँ मोहब्बत की भूख से
पर लोग कहते है " देखो पीकर आया है "
एक जाम उल्फत के नाम,
एक जाम दोस्ती के नाम
आधी बोतल वफ़ा के नाम... और ..
पूरी बोतल बेवफा के नाम
रोक दो मेरे जनाजे को
मुझमे जान आ गयी है
अरे सालों पीछे मुड़ के तो देखो
दारू की दूकान आ गयी है
Written By: - Harish Chand Vishwakarma
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